बृज राज चौहान का जीवन परिचय और इनकी रचनाएं, (Biography of Brij Raj Chauhan)

SUSHIL SHARMA
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हिंदी विज़न में आपका स्वागत है। आज हम जाने माने समाजशास्त्री श्री बृज राज चौहान जी की जीवनी पर प्रकाश डालेंगे और उनकी प्रमुख कृतियों और योगदान के बारे में बात करेंगे। Brij Raj Chauhan जी का समाजशास्त्र के अध्ययन में एक विशेष स्थान है और उनका नाम उन समाजशास्त्रियों के बीच आदर से लिया जाता है जिन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन में एक नई दिशा प्रदान की है। 

आइये बृज राज चौहान का जीवन परिचय के बारे जानते हैं -

बृज राज चौहान का जीवन परिचय | Biography of Brij Raj Chauhan

बृज राज चौहान की जीवनी


बृज राज चौहान जी का जन्म 1 मार्च, सन 1927 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक छोटे से गांव सलेमपुर में हुआ था। इनके जन्म के बाद ही इनका परिवार राजस्थान के उदयपुर में आकर रहने लगा। यहीं से बृज राज चौहान जी ने हाइस्कूल की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आगरा और लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की। लखनऊ विश्वविद्यालय में वह सुप्रसिद्ध मानवशास्त्री डी. एन. मजूमदार के सानिध्य में आये और उनसे खासा प्रभावित हुए। मजूमदार से उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों का गूढ़ अध्यन करने की प्रेरणा मिली। 

उन्होंने 1955 में चित्तौड़गढ़ के एक गांव 'राणावतों की सदरी' की सामाजिक संरचना, अर्थव्यवस्था  का अत्यंत गहन अध्ययन किया । इसी शोध के कारण उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वारा पी० एच० डी० की उपाधि दी गयी। 

चौहान जी का शैक्षणिक जीवन उदयपुर से प्रारंभ हुआ । कुछ समय बाद ही वह मध्यप्रदेश के सागर विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में किंग्सले डेविस के साथ जनांकिकी के उच्च प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपना योगदान दिया। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के अंतर्गत "इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज" में रीडर के पद पर कई जानेमाने समाजशास्त्रियों के साथ काम करने का अवसर मिला। 

चौहान जी की बौद्धिक क्षमता को मद्देनजर रखते हुए उन्हें मेरठ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर और अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। यहीं से कार्य करते हुए वह रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने अपनी प्रतिभा को मरने नही दिया जिसके फलस्वरूप उन्हें शिमला में "इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन सोशल साइंसेज" में बुलाया गया जहां पर इन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव को विद्यार्थियों के साथ साझा किया। 

इन्होंने 2 साल तक ' जी बी पंत समाज विज्ञान संस्थान' में फैलो के रूप में कार्य किया। इसके बाद चौहान जी ने उदयपुर जाकर 'राजस्थान जनजातीय शोध संस्थान (Rajasthan Tribal Research Institute)' की स्थापना की जहां इन्होंने खुद प्रिंसिपल का कार्यभार संभाला। 

भारत के इस प्रतिभाशाली सामाजिक विचारक का 3 नवंबर 2009 में निधन हो गया।





बृज राज चौहान की कृतियां 

राजस्थान का एक गांव
राणावतों की सदरी

महत्वपूर्ण योगदान

ग्रामीण सामाजिक संरचना  की प्रकृति, अर्थव्यवस्था, पर गहन शोध

कर्मकांडीकरण संरचना की अवधारणा प्रस्तुत की

जातीय अन्तरगांव संबंध - चोखला पर शोध

मानवीय संबंध पर स्पष्टीकरण
वृद्धिमान कर्मकांडीकरण की नई अवधारणा प्रस्तुत करना

लघु समुदाय, कुटुम्ब, परिवार इकाई पर शोध



आज आपने सीखा

आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख  Brij Raj Chauhan ka jivan parichay पसंद आया होगा। हमने प्रयास किया है कि आपको बृज राज चौहान जी की जीवनी से संबंधित सारी जानकारी सरल भाषा मे विस्तार से प्रदान कर सकें। 

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