तो चलिए ए. आर. देसाई जी की जीवनी पर प्रकाश डालते है -
ए. आर. देसाई का जीवन परिचय | Biography of A.R
Desai in hindi
Biography of A. R. Desai in hindi |
प्रमुख जानकारी
पूरा नाम - अक्षय रमणलाल देसाई
पिता - श्री रमणलाल वसंतलाल देसाई
जन्म - 16 अप्रैल 1915 (वडोदरा- गुजरात)
मृत्यु - 12 नवंबर 1994 (वडोदरा- गुजरात)
पत्नी - नीरा देसाई
पुत्री - मिहिर देसाई
शिक्षा - एम.ए , एल.एल.बी, पी.एच.डी
पिता - श्री रमणलाल वसंतलाल देसाई
जन्म - 16 अप्रैल 1915 (वडोदरा- गुजरात)
मृत्यु - 12 नवंबर 1994 (वडोदरा- गुजरात)
पत्नी - नीरा देसाई
पुत्री - मिहिर देसाई
शिक्षा - एम.ए , एल.एल.बी, पी.एच.डी
ए. आर. देसाई जी का जन्म 6 अप्रैल 1915 को गुजरात के बड़ौदा (वडोदरा) में हुआ। देसाई जी की प्रारंभिक शिक्षा बड़ौदा में ही हुई। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा बम्बई विश्वविद्यालय से प्राप्त की। यहीं पर वह प्रख्यात समाजशास्त्री जी. एस. घुरिये के संपर्क में आये। घुरिये के निर्देशन में उन्होंने पी० एच० डी० की उपाधि के लिए शोध कार्य का आरंभ किया।
देसाई जी पर उनके पिता रमणलाल वसंतलाल देसाई जी के विचारों का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। उनके पिता उस जमाने के प्रसिद्ध साहित्यकार थे और उन्होंने अपनी प्रतिभा से 1930 के दशक में युवाओं को प्रभावित किया और उनको नई दिशा प्रदान की थी। इसी कारण देसाई जी पर अपने पिता की उसी सोच का प्रभाव पड़ा और उनका मन समाज के कमजोर वर्ग के अध्ययन की और अग्रसर हुआ।
धीरे धीरे उन्होंने अपना झुकाव मार्क्सवादी विचारधारा की ओर कर लिया और उन्हीने बम्बई, बड़ौदा और सूरत जैसे जगहों में छात्र आंदोलन, किसान आंदोलन और श्रमिक आंदोलनों में भाग लेना आरम्भ कर दिया। सन 1946 में ए. आर. देसाई जी को बम्बई विश्वविद्यालय की तरफ से पी० एच० डी० की उपाधि दी गयी।
ए. आर. देसाई जी का विवाह 1947 में नीरा देसाई के साथ हुआ । नीरा देसाई उस समय महिलाओं के अध्ययन क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही थीं।
बम्बई विश्वविद्यालय में सन 1951 में जी. एस घुरिये ने देसाई जी को अपने विभाग में प्रवक्ता के तौर पर नियुक्त किया। उन्होंने अपनी प्रतिभा और लगन से सभी को प्रभावित किया जिसके फलस्वरूप कुछ ही समय बाद उन्हें विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में बतौर रीडर नियुक्त कर लिया गया।
उन्होंने पीएचडी के दौरान शोध को पूरा करने के बाद ही एक पुस्तक 'भारतीय राष्ट्रवाद की सामाजिक पृष्ठभूमि' लिखनी शुरू कर दी। यह पुस्तक सन 1948 में प्रकाशित हुई। सन 1959 में घुरिये के रिटायर्ड होने के बाद ए. आर. देसाई जी को समाजशास्त्र विभाग का प्रोफेसर और अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सन 1964 में समाजशास्त्र के तीसरे वैश्विक अधिवेशन में उन्होंने एक प्रभावी शोध-पत्र प्रस्तुत किया जो कि ग्रामीण समस्याओं पर आधारित था। इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी।
इसके बाद उन्होंने कई अन्य शोध किये और अपने विचारों से सभी पर एक अमित छाप छोड़ी। उन्होंने बड़ी बारीकी से भारतीय राष्ट्रवाद को समझाया। इन्होंने ग्रामीण व्यवस्था , नगरीकरण, राज्य और समाज और कृषक वर्ग से जुड़े कई अन्य शोध किये और उन पर कई पुस्तकें लिखीं।
इस प्रभावशाली प्रतिभा के धनी समाजशास्त्री ए. आर. देसाई जी का देहांत 12 नवंबर ,1994 को बड़ौदा नगर में हुआ।
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देसाई जी की प्रमुख पुस्तकें और लेख
ए. आर. देसाई जी एक प्रभावशाली प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने कई पुस्तकें और लेख लिखे है जो आज भी हमारे लिए ज्ञानवर्धक है। इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं -
■ भारतीय राष्ट्रवाद की सामाजिक पृष्ठभूमि (The Social Background of Indian Nationalism) -1948
■ भारत में ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology in India) - 1969
■ गंदी बस्तियां तथा भारत का नगरीकरण (Slum Settlements and Urbanization of India) -1970
■ भारत मे राज्य तथा समाज (State and Society in India) - 1975
■ भारत मे कृषक संघर्ष (Peasant struggle in India) - 1979
■ ग्रामीण भारत संक्रमण की दशा में (Rural India in transition) - 1979
■ भारत मे विकास का मार्ग: एक मार्क्सवादी उपागम (Path of Development in India: A Marxist Approach) - 1984
आशा करते हैं आपको हमारी आज की यह पोस्ट A. R. Desai ka jivan parichay पसंद आई होगी और यह आपके लिए उपयोगी रही होगी। हमारा प्रयास रहा है कि हम आपको ए. आर. देसाई जी से संबंधित सारी जानकारी विस्तार से आप तक पहुंचा सकें लेकिन अगर फिर भी आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें।
धन्यवाद !
आपका दिन शुभ हो !
Thanks bro
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