तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं -
ग्रीष्मकालीन यात्रा का वर्णन - 200 शब्दों में
किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध |
परीक्षा खत्म हुईं और आखिरकार वह समय आ ई गया जिसका मुझे इंतज़ार था। गर्मियों की छुट्टियां आ गयी। पिताजी ने हमें बताया कि इस बार की छुट्टियों में हम गांव जा रहे हैं। अतः सुनकर हम सभी बहुत ही खुश हुए क्योंकि कई वर्षों के बाद हम सभी गांव जाने वाले थे। हम सभी उत्साहित थे और हमने तैयारियां कर ली। तीसरे दिन हमने सुबह 6 बजे की ट्रेन पकड़ी और गांव की ओर का सफर शुरू हो गया।
कुछ ही देर बाद शहर पीछे छूट गया और हम ट्रेन की खिड़की से बाहर की ओर देखते जा रहे थे। रास्ते में हमने जंगल, खेत - खलिहान, और कई जानवर भी देखे। करीब शाम 5 बजे हम अपने स्टेशन पर पहुंचे और वहां से घोड़ा गाड़ी कर हम गाँव पहुंच गए।
वहाँ सभी लोग हमको देखकर बहुत खुश हुए। खाने के लिए हमें कई तरह के पकवान दिए गए। अगले दिन गांव के बच्चों से हमने दोस्ती कर ली और उनके साथ आम के बाग में घूमने गए। गांव में हमने नदी देखी, खेत से तरबूज़ और खीरे खाये, कई तरह के खेल खेले। लगभग एक महीने केके बाद हम वापस अपने घर आ गए।
हमने इन दिनों में जो मज़े किये वो हमेशा याद रहेंगे। हमें अगले साल की छुट्टियों का फिर से इंतजार रहेगा।
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गर्मियों की छुट्टियों में पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा का वर्णन - (200 words)
इस साल की गर्मियों की छुट्टियों में हम दो सप्ताह के लिए पर्वतीय क्षेत्र की यात्रा पर गए। छुट्टियां शुरू होने के पांच दिन बाद हमने घूमने जाने की योजना बनाई। सुबह 5 बजे की ट्रेन पकड़ कर हम सभी अपनी मंजिल की ओर चल दिये। शहर पीछे छूटा और जंगली इलाका शुरू हो गया। हमारी पहली मंजिल हरिद्वार थी। अगले दिन सुबह 5 बजे ही हम सभी हरिद्वार पहुंच गए।
वहां जाकर सबसे पहले हमने एक आश्रम में अपना सामान रखा और पैदल ही सीधे हर की पौड़ी पर पहुंच गए। गंगा जी के पावन जल में सभी ने स्नान किया और सूर्यदेव से सुख समृद्धि की कामना की । इसके बाद हम वहाँ कुछ अन्य तीर्थ स्थानों जैसे मनसा देवी मंदिर , चंडी देवी मंदिर पर भी गये । इन पहाड़ों पर चढ़ने के लिए लोग पैदल ही जा रहे थे। इसके अलावा बिजली से चलने वाली ट्रॉली से भी लोग ऊपर जा रहे थे।
दूसरे दिन सुबह ही हम सब ऋषिकेश के लिए निकल पड़े। वहां पर भी अनेक स्थानों और मंदिरों के दर्शन किये। वहाँ पर लक्ष्मण झूला मुझे आब्से ज्यादा पसंद आया और उस पर चलना मेरे लिए एक रोमांचकारी अनुभव था।
मेरे लिए पहाड़ी क्षेत्र में घूमने का यह अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। हमें गौरव होता है कि हम ऐसे पावन और सुंदर देश में रहते हैं।
पर्वतीय क्षेत्र की यात्रा का वर्णन |
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किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध - (600 words)
घूमना मेरी पहली पसंद है। मुझे अलग अलग जगहों में जाना और वहां की संस्कृति और रहन सहन के बारे में जानना अच्छा लगता है। इस बार की छुट्टियों में मैंने हिमांचल प्रदेश घूमने की योजना बनाई। इस बात से मैं उत्साहित था कि हम हिमांचल प्रदेश के भी कुछ प्रमुख जगहों की सैर करने वाले थे। मैं और मेरे दो दोस्त रवि और शिवा भी जाने वाले थे।
हमने छुट्टियाँ शुरू होने के दूसरे ही दिन की ट्रेन बुक की। ट्रेन शाम 7 बजे की थी अतः हम तय समय से कुछ समय पहले सारी तैयारियां पूरी करके लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर पहुँच गए। ट्रैन में अपनी सीट ढूंढी और अपना सामान रखा। इसके बाद हमारी यात्रा का सफर शुरू हो गया। तेज़ रफ़्तार ट्रेन ने हमें 11 बजे ही दिल्ली पहुँचा दिया और 4 बजे सुबह तक हम चंडीगढ़ पहुंच गए।
वहाँ हमने चाय पी और अपनी बस का इंतजार करने लगे जो हमे हमारी पहली मंजिल थी हिमांचल प्रदेश के शिमला पहुँचाने वाली थी। बस पर सवार होकर हम करीब 8 बजे शिमला पहुँच गए। शिमला के बारे में जितना सुना था वह उससे भी ज्यादा सुंदर जगह थी। थके हुए होने के कारण हमने शिमला में एक कमरा कमरा किराये पर लिया और आराम किया।
शाम को हम शिमला की सैर पर निकल पड़े। हमने सबसे पहले वहाँ पर काली बड़ी माता का मंदिर देखा। इसके बाद हमने शिमला का राम बाजार घूमा और कुछ खरीददारी भी की। इसके बाद हम क्राइस्ट चर्च गए। इसके बाद हम जाखू हनुमान मंदिर भी घूमे। रात के 10 बजे तक हम शिमला की सड़कों और जगहों का भृमण करते रहे। रात के समय मे शिमला ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ों के बीच जुगनू चमचमाते रहते हैं। यह दृश्य मुझे बहुत ही मनोभावन लगा।
रात बीती सुबह हुई और हम फिर निकल पड़े उन जगहों पर घूमने जो अभी भी बाकी थीं। हम सबसे पहले 'द रिज' नामक स्थान पर गए जो शिमला का एक मुख्य आकर्षण केंद्र है। हजारो सैलानी वहाँ ओर प्रतिदिन आते है। माल रोड पर घूमते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैं एक अनोखे भारत मे आ गया हूँ। वहां की सड़कों पर हमने कई तस्वीरें ली।
हमने अपने एक मित्र से कालका रेलवे के बारे में सुना था। सो हम ट्रैन की सैर करने के लिए निकल पड़े। यह रलवे मार्ग शिमला के सबसे ऊपरी पहाड़ियों में स्थित थी। इस पर घुम्मकड़ आप पूरे शिमला का नज़ारा ले सकते हैं।
अंत मे हम उस जगह पर पहुंचे जहां पर जाने के लिए हम बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। वह जगह थी 'कुफरी'। यह स्थान 8000 फ़ीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित था। चारो तरफ सफेद बर्फ से ढका यह क्षेत्र बहुत ही मनोरम लग रहा था। हजारो सैलानी वहाँ पहले से मौजूद थे। हमने वहाँ देखा लोग बर्फ की जेल गेंद बनाकर अपने साथियों को मार रहें हैं। हमने भी ऐसा किया और इसमें हमे बहुत ही ज्यादा आनंद आया।
उसी के बाद हम ग्रीन वैली घूमने गए। ऊँचे ऊँचे और हरे भरे पहाड़ों के बीच का दृश्य अभी तक मेरी आँखों के सामने है। वहां पर हमने याक देखे। कुछ लोग उनकी सवारी भी कर रहे थे। शाम को हम सभी हिमांचल प्रदेश का स्टेचू म्यूजियम देखने गए जो शिमला में ही स्थित है।
अगले दिन हमें वापस आना था। वहाँ की सुंदरता ने मुझे मोहित कर लिया था क्योकि मेरा तनिक भी मन नही हो रहा था कि मैं यहाँ से वापस जाऊं। कई और जगहें थी जहाँ पर हम घूमने नही जा सके। अगली बार हम और अधिक समय लेकर आएंगे और पूरा हिमांचल प्रदेश घूमेंगे।
यह यात्रा मेरे जीवन की अविस्मरणीय यात्रा थी। यह हमेशा मुझे याद रहेगी।
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आज आपने जाना
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जवाब देंहटाएंI wrote this only in my exam and I got 20/19.5
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