Karun ras: करुण रस की परिभाषा व आसान उदाहरण

SUSHIL SHARMA
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Karun ras ki paribhasha : नमस्कार दोस्तों हिंदी विज़न में आपका स्वागत है। आज हम 'करुण रस' के बारे में पढ़ेंगे और 'करुण रस की परिभाषा' और 'करुण रस के उदाहरण' के बारे में जानेंगे । जैसा कि आप जानते ही हैं कि किसी भी काव्य या रचना को पढ़कर या सुनकर हमारे मन मे जो भाव उत्पन्न होता है उसे रस कहा जाता है। 

हिंदी साहित्य में में 9 प्रकार के रस होते हैं जिसमे से करुण रास भी एक महत्वपूर्ण रस है। करुण रस को सभी रसों में सबसे प्रभावशाली माना गया है क्योंकि इसका प्रभाव सीधा व्यक्ति के मन और हृदय पर पड़ता है। 

तो चलिये करुण रस के बारे में विस्तार से जानते हैं - 

करुण रस की परिभाषा - Definition of karun ras

Karun ras ki paribhasha


परिभाषा :-  "किसी प्रिय व्यक्ति या प्रिय वस्तु के बिछड़ जाने या , अनिष्ट होने की शंका से या विनाश से उत्पन्न होने वाला दुःख की स्थिति को करुण रस कहते हैं।  जब विभाव, अनुभाव व संचारी भाव के प्राप्त होने पर 'शोक' नामक स्थाई भाव करुण रस के कारण उत्पन्न होता है।"

सरल भाषा मे कहें तो जब किसी काव्य या रचना को पढ़कर या सुनकर हमें दुख या शोक की भावना की अनुभूति होती है तो यही अनुभूति करुण रस कहलाती है। 

करुण रस के उपकरण/अवयव - 


स्थाई भाव            -   शोक
आलंबन विभाव     -  विनष्ट व्यक्ति अथवा नष्ट वस्तु
उद्दीपन विभाव      -  आलंबन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे संबंधित वस्तुएं आदि। 

अनुभाव               -  विलाप करना, रुदन, मूर्छा, प्रलाप, 
                              देव निंदा, छाती पीटना, निःश्वाश आदि।

संचारी भाव          -   मोह, ग्लानि, स्मृति, विषाद, जड़ता,
              दैन्य, उन्माद, निर्वेद, अपस्मार, व्याधि आदि।
 

जैसे - 
जिस आंगन में पुत्र शोक से बिलख रही हो माता
वहां पहुँच कर स्वाद जीभ का तुमको कैसे भाता। 
पति के चिर वियोग में व्याकुल युवती विधवा रोती
बड़े चाव से पंगत खाते तुम्हे पीर नही होती।


(यहाँ पर किसी की मृत्यु के बाद होने वाले शोक के मार्मिक दृश्य का वर्णन है अतः इसमे करुण रस है। )


करुण रस के उदाहरण 

 उदाहरण - 1     

         शोक विकल सब रोवहिं रानी । 
         रूप सीलु सबु देखु बखानी ।।
         करहिं विलाप अनेक प्रकारा ।
        परिहिं भूमि तल बारहिं बारा ।।

( यहां पर रानियों के रोने और विलाप करने का बोध हो रहा है अतः यहां पर करुण रस विद्यमान है।)

 उदाहरण - 2 

ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी
जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी।
जब तक थी सांस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी।


(यहाँ पर देश के वीर जवानों के बलिदानों का मार्मिक स्मरण किया जा रहा है अतः यह करुण रस की उत्पत्ति करता है।)



 उदाहरण - 3 

राम चलत अति भयउ बिषादू।
सुनि न जाइ पुर आरत नादू॥
कुसगुन लंक अवध अति सोकू।
हरष बिषाद बिबस सुरलोकू॥


 उदाहरण - 4  

मेधा का यह स्फीत भाव औ’
अहंकार सब तभी जल गया,
पंचतत्त्व का चोला बदला,
पंचतत्त्व में पुन: मिल गया,


 उदाहरण - 5  

गइ मुरुछा तब भूपति जागे।
बोलि सुमंत्रु कहन अस लागे॥
रामु चले बन प्रान न जाहीं।
केहि सुख लागि रहत तन माहीं

 उदाहरण - 6  

नाहिं त मोर मरनु परिनामा।
कछु न बसाइ भएँ बिधि बामा॥
अस कहि मुरुछि परा महि राऊ।
रामु लखनु सिय आनि देखाऊ॥

 उदाहरण - 7  

मणि खोय भुजंग सी जननी,
फन सा पटक रही थी शीश
अंधी आज बनाकर तुमने
किया न्याय तुमने जगदीश


Karun ras ke udaharan



करुण रस के अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण

 उदाहरण - 8  


मनहुँ बारिनिधि बूड़ जहाजू।
भयउ बिकल बड़ बनिक समाजू॥
एकहि एक देहिं उपदेसू।
तजे राम हम जानि कलेसू॥

 उदाहरण - 9  


जब उर की पीडा से रोकर,
फिर कुछ सोच समझ चुप होकर
विरही अपने ही हाथों से अपने आंसू पोंछ हटाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन ।

 उदाहरण - 10 

वह मरघट का सन्नाटा तो
रह-रह कर काटे जाता है
दुःख दर्द तबाही से दबकर,
मुफ़लिस का दिल चिल्लाता है
यह झूठा सन्नाटा टूटे
पापों का भरा घड़ा फूटे
तुम ज़ंजीरों की झनझन में,
कुछ ऐसा खेल रचो साथी !

 उदाहरण - 11 

दुख ने तो सीख लिया आगे-आगे बढ़ना ही
और सुख सीख रहे पीछे-पीछे हटना
सपनों ने सीख लिया टूटने का ढंग और
सीख लिया आँसुओं ने आँखों में सिमटना

 उदाहरण - 12 

हु‌आ न यह भी भाग्य अभागा,
किसपर विफल गर्व अब जागा?
जिसने अपनाया था, त्यागा;
रहे स्मरण ही आते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

 उदाहरण - 13 

नयन उन्हें हैं निष्ठुर कहते,
पर इनसे जो आँसू बहते,
सदय हृदय वे कैसे सहते ?
गये तरस ही खाते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

 उदाहरण - 14 

रो-रो गालों को कौन यों भिंगोवेगा।
ऐसा नहीं कोई कहीं गिरा होवेगा।।
अब बात-बात में जाति चली जाती है
कंपकंपी समंदर लखे हमें आती है
"हरिऔध" समझते हीं फटती छाती है
अपनी उन्नति अब हमें नहीं भाती है।।
कोई सपूत कब यह धब्बा धोवेगा।
ऐसा नहीं कोई कहीं गिरा होवेगा।।

 उदाहरण - 15 

चूम कर जिन्हें सदा क्राँतियाँ गुज़र गईं 
गोद में लिये जिन्हें आँधियाँ बिखर गईं 
पूछता ग़रीब वह रोटियाँ किधर गई 
देश भी तो बँट गया वेदना बँटी नहीं 
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही

 उदाहरण - 16 

बिजलियों का चीर पहने थी दिशा,
आँधियों के पर लगाये थी निशा,
पर्वतों की बाँह पकड़े था पवन,
सिन्धु को सिर पर उठाये था गगन,
सब रुके, पर प्रीति की अर्थी लिये,
आँसुओं का कारवाँ चलता रहा।


Karun ras- करुण रस के उदाहरण



Karun ras ke udaharan 


 उदाहरण - 17 

आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा

मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा

 उदाहरण - 18 

यह प्रेम कथा कहिये किहि सोँ जो कहै तो कहा कोऊ मानत है ।
सब ऊपरी धीर धरायो चहै तन रोग नहीँ पहिचानत है ।
कहि ठाकुर जाहि लगी कसिकै सु तौ वै कसकैँ उर आनत है ।
बिन आपने पाँव बिबाँई भये कोऊ पीर पराई न जानत है ॥

 उदाहरण - 19 

अभी तो मुकुट बंधा था माथ,
हुए कल ही हल्दी के हाथ,
खुले भी न थे लाज के बोल,
खिले थे चुम्बन—शून्य कपोल,
हाय रुक गया यही संसार बना सिन्दूर अनल अंगार
वातहत लतिका वह सुकुमार पड़ी है छिन्नाधार।

 उदाहरण - 20 

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आँचल में दूध है आंखों में पानी


अगर आप करुण रस को वीडियो के माध्यम से समझना चाहते हैं तो यह वीडियो देखें  - 








 अलंकार भी पढ़ें :- 



आज हमने जाना 

हां तो दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की यह पोस्ट "Karun ras" पसंद आई होगी। आज की इस पोस्ट में हमने जाना कि 'करुण रस की परिभाषा'  क्या होती है और  करुण रस के उदाहरण । दोस्तों हमने इस पोस्ट में यही प्रयास किया है की आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी सरल भाषा मे बता सकें। फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं। 

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