Samas in hindi: समास की परिभाषा,भेद व उदाहरण

SUSHIL SHARMA
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हमारे दैनिक जीवन में भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और यह वह माध्यम है जिसके जरिए हम अपने अनुभव, विचार और भावनाओं को व्यक्त करते हैं। संस्कृत, जो एक प्राचीन और समृद्ध भाषा है, में समास (Samas) एक अद्भुत भाषिक तत्व है, जो शब्दों को जोड़ने और उनके अर्थ को संक्षिप्त, सटीक और प्रभावी तरीके से व्यक्त करने का कार्य करता है। समास का उपयोग संस्कृत साहित्य, कविता और अन्य साहित्यिक कृतियों में बहुतायत से किया जाता है। यह शब्दों के संयोजन की कला है, जो एक विस्तृत विचार को केवल कुछ शब्दों में व्यक्त करने का तरीका प्रदान करती है।

इस लेख में हम समास के बारे में विस्तार से जानेंगे - समास का क्या अर्थ है, इसक प्रकार क्या हैं, इसका संस्कृत साहित्य में क्या महत्व है और समास का प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है।

समास का अर्थ (परिभाषा)

समास की परिभाषा भेद व उदाहरण


संस्कृत शब्द "समास" का शाब्दिक अर्थ है "जोड़ना"। समास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द या अर्थ बनाया जाता है। समास के माध्यम से, हम एक लंबे और जटिल वाक्य को संक्षिप्त रूप में व्यक्त कर सकते हैं, जिससे भाषा और भी प्रभावशाली और सटीक बन जाती है। यह शब्दों को जोड़ने का एक तरीका है, जिससे स्पष्टता और अर्थ की गहराई प्राप्त होती है।

संस्कृत भाषा में समास का विशेष महत्व है। यह न केवल भाषा को संक्षिप्त और सुंदर बनाता है, बल्कि साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। समास के द्वारा कई शब्दों को मिलाकर एक नया, अधिक अर्थपूर्ण और सरल शब्द तैयार किया जाता है, जिसे हम आसानी से समझ सकते हैं और उपयोग कर सकते हैं।

समास के प्रकार

समास के भेद-समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं –
  1. अव्ययीभाव समास
  2.  तत्पुरुष समास
  3.  कर्मधारय समास
  4.  द्विगु समास
  5.  द्वंद्व समास
  6.  बहुव्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास

अव्ययीभाव समास की परिभाषा:- 

"इस समास का पहला पद प्रधान होता है और दूसरा पद संज्ञा या सर्वनाम होता है। समस्त वाक्य में क्रिया विशेषण का प्रभाव रहता है।"

सरल भाषा में कहें तो इस समास का पहला पद अवयव के रूप में कार्य करता है जबकि दूसरा पद संज्ञा सर्वनाम के रूप में कार्य करता है। समस्त वाक्य में एक क्रिया विशेषण का प्रभाव दिखता है।

इसके दोनों पदों का स्वतंत्र रूप से अलग-अलग प्रयोग नहीं होता है।

जैसे - वह आजीवन रोता रहा। 

यहां पर आजीवन एक क्रिया विशेषण है और खाया एक क्रिया है। 

अन्य उदाहरण - 

  •  यथाशक्ति   - यथा + शक्ति (जैसी शक्ति हो)
  •  यथासंभव  - यथा + संभव (जैसा संभव हो)
  •  उपरोक्त     - उपरि + उक्त (उपर कहा गया)
  •  परंतु         - पर + तु (परन्तु, किन्तु)
  •  निर्जन      - नि + जन (जनों का अभाव)
  • आजीवन   - आ + जीवन (जीवन भर)
  • अनुरूप     - अनु + रूप (रूप के अनुसार)
  • निर्विवाद   - नि + विवाद (बिना विवाद के) 

2. तत्पुरुष समास 

तत्पुरुष समास की परिभाषा:

तत्पुरुष समास वह समास होता है जिसमें पहला पद गौड़ होता है और दूसरा पद प्रधान होता है। इस प्रकार के समास में पहले पद का अर्थ दूसरे पद पर प्रभाव डालता है और दोनों पद मिलकर एक नया अर्थ बनाते हैं।

जैसे- पॉकेटमार पकड़ा गया

 इस वाक्य में पॉकेट मार का अर्थ है - पॉकेट को मारने वाला।  इस विग्रह में पॉकेट पहला पद और मार अंतिम पद है। 
अब प्रश्न यह है कौन पकड़ा गया पॉकेट या पॉकेट को मारने वाला। तब उत्तर मिलता है पैकेट को मारने वाला। अतः इससे स्पष्ट है कि अंतिम पद की ही प्रधानता है। 

उदाहरण:

  • राजकुमार - राजा + कुमार (राजा का कुमार)
  • महात्मा - महान् + आत्मा (महान् आत्मा वाला)
  • देवदत्त - देव + दत्त (देव का दत्त)
  • राजमहल - राजा + महल (राजा का महल)
  • महानगर - महान् + नगर (महान् नगर)
  • राजकीय - राजा + कीय (राजा का संबंधित)
  • देवालय - देव + आलय (देव का आलय)
  • मनोहर  - मन -हर  (मन को हरने वाला)
  • मुँहमाँगा -मुँह +माँगा ( मुँह से मांगा हुआ)
  • धर्मांध -  धर्म + अंध (धर्म से अंधा ) 

 ध्यान दें कि इन उदाहरणों में पहला पद विशेषण या अव्यय है और दूसरा पद संज्ञा है जो कि प्रधान शब्द है। 

3. कर्मधारय समास 

कर्मधारय समास की परिभाषा:- 

"जिस समास में समस्त पद समान अधिकार और विशेषता वाले होते है। अर्थात दोनों ही पद प्रधान हों वह कर्मधारय समास कहलाता है।  इनमें पहला पद प्रधान विशेषण व दूसरा प्रधान संज्ञा होता है।"

जैसे 
  • नीलकमल - नील + कमल (नील रंग का कमल)
  • श्वेतपुष्प - श्वेत + पुष्प (श्वेत रंग का पुष्प)
  • महाविद्यालय - महा + विद्यालय (महान विद्यालय)
  • कृष्णगंगा - कृष्ण + गंगा (कृष्ण रंग की गंगा)
  • रजतपटल - रजत + पटल (रजत रंग का पटल)
  • विशालवृक्ष - विशाल + वृक्ष (विशाल आकार का वृक्ष)
  • स्वर्णमाला - स्वर्ण + माला (स्वर्ण रंग की माला)
  • शशिमुख  - शशि + मुख  (शशि के समान मुख)
  • प्राणधन  - प्राण + धन (प्राण रूपी धन) 

उपयुक्त उदाहरण में दोनों पद समान रूप से प्रधानता प्रदर्शित करते हैं। 

4. द्विगु समास 

द्विगु समास की परिभाषा :-

"इस समास का पहला पद संख्यावाचक और दूसरा पद संज्ञा होता है इसी कारण इस समाज को संख्या पूर्वपद कर्मधारय कहा जाता है।"

जैसे - 
  • त्रिकोण - त्रि + कोण (तीन कोण वाला)
  • चतुर्मुख - चतुर् + मुख (चार मुख वाला)
  • पंचतंत्र - पंच + तंत्र (पांच तंत्र वाला)
  • द्वार - द्वि + अर (दो अर वाला)
  • त्रिलोक - त्रि + लोक (तीन लोक वाला)
  • चतुर्भुज - चतुर् + भुज (चार भुज वाला)
  • सप्ताह - सप्त + अह (सात अह वाला)
  • पंचवटी - पंच+वट (पांच वटों वाला)

इन सभी उदाहरणों में पहला पद संख्या को दर्शा रहा है और दूसरा पद एक संज्ञा है। 

5. द्वंद समास 

द्वंद समास की परिभाषा :- 

"जिस समास में दोनों पद प्रधान व समान होते हैं और इसमें एक समुच्चयबोधक शब्द छुपा हुआ होता है द्वंद समास कहलाता है।"
जैसे - 
  • दाल-रोटी     - (दाल और रोटी)
  • कपड़ा-लत्ता  - (कपड़ा और लत्ता)
  • भूख-प्यास   -  (भूख और प्यास)
  • माता-पिता   -  (माता और पिता)
  • भाई-बहन    -  (भाई और बहन)
  • गौरी-शंकर   -  (गौरी और शंकर)
  • लेन-देन       -  (लेन और देन) 
उपर्युक्त सभी उदाहरणों में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं और उनके बीच में एक समुच्चयबोधक शब्द और छुपा हुआ होता है। 


6. बहुब्रीहि समास 

बहुब्रीहि समास की परिभाषा :- 

जिस समास में कोई पद प्रधान नहीं होता और दोनों पद मिलकर किसी अन्य संज्ञा का आभास कराते हैं बहुब्रीहि समास कहलाता है। 

जैसे -   तीन हैं नेत्र जिनके = त्रिनेत्र     (अर्थात महादेव) 

इसमें तीन शब्द संख्या का नेत्रों से संबंध स्थापित हो रहा है परंतु यह दोनों शब्द मिलकर त्रिनेत्र  बनाते हैं जो कि महादेव को दर्शा रहा है अतः यहां बहुब्रीहि समास है। 

उदाहरण - 
  • नीलकण्ठ - नीला कण्ठ वाला (शिवजी का एक नाम)
  • यज्ञवाट - यज्ञ के लिए वाट (यज्ञ करने का स्थान)
  • दशमुख - दश मुख वाला (रावण का एक नाम)
  • त्रिनेत्र - त्रि नेत्र वाला (शिवजी का एक नाम)
  • चतुर्भुज - चार भुज वाला (विष्णु जी का एक नाम)
  • नीलोत्पल - नीला उत्पल वाला (नीले कमल वाला)
  • राजराजेश्वर - राजाओं का राजा और ईश्वर (शिवजी का एक नाम)
  • महाकाय - महान काय वाला (महान शरीर वाला)
  • द्विषट - दो शत वाला (दो सौ वाला)
  • चतुरंग - चार अंग वाला (चार अंग वाला सेना का एक प्रकार)

उपर्युक्त सभी उदाहरण में प्रथम पद व द्वितीय पद मिलकर किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम की ओर इशारा कर रहे हैं अतः यहां पर बहुव्रीहि समास है। 




आज हमने जाना 

हां तो दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की यह पोस्ट "Samas in Hindi" पसंद आई होगी। आज की इस पोस्ट में हमने जाना कि 'समास की परिभाषा'  क्या होती है और  समास के  भेद व समास के उदाहरण । दोस्तों हमने इस पोस्ट में यही प्रयास किया है की आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी सरल भाषा मे बता सकें। फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं। 

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