Anupras Alankar : हिंदी विज़न में आपका स्वागत है। आज हम आपको ''अनुप्रास अलंकार'' के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अलंकार वह तत्व होते हैं जिनसे काव्य की शोभा को बढ़ाया जाता है। अलंकार के कई भेद होते हैं जिनमे से अनुप्रास अलंकार भी एक है। आज हम आपको इसी से जुड़ी समस्त अध्यन सामग्री व जानकारी जैसे अनुप्रास अलंकार की परिभाषा भेद व उदाहरण देंगे जो सभी वर्ग के छात्रों के लिए उपयोगी हो सकें।
तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं -
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा ( anupras alankar ki paribhasha)
अनुप्रास अलंकार- परिभाषा, भेद एवं उदाहरण |
परिभाषा :- "जहाँ पर किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता है। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना।"
सरल शब्दों में कहें तो जहां पर कोई अक्षर बार बार आये या उस वर्ण को बार बार दुहराया जाए वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे - रघुपति राघव राजाराम।
पतित पावन सीताराम ।।
उपर्युक्त उदाहरण में 'र' वर्ण कई बार आया है अतः यहां पर अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार का अर्थ
अनुप्रास अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है - अनु +प्रास । इसमे अनु का अर्थ है आवृत्ति अर्थात दुहराना और प्रास का अर्थ होता है वर्ण।
इसका पूरा अर्थ है कि किसी भी वर्ण को जब दुहराया जाता है तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
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अनुप्रास अलंकार के भेद (प्रकार)
अनुप्रास अलंकार के पांच भेद होते हैं -
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
1. छेकानुप्रास अलंकार
जब एक से अधिक वर्णो की आवृत्ति होती है वहां पर छेकानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण - बुझत स्याम कौन तू गोरी।
कहाँ रहत काकी है बेटी।।
2. वृत्यानुप्रास अलंकार
जहां पर एक अक्षर की कई बार आवृत्ति हो वहां वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण :- मुदित महीपति मंदिर आये।
सेवक सचिव सुमंत बुलाये। ।
3. लाटानुप्रास अलंकार
लाट शब्द समूह को दर्शाता है। अतः जहां पर एक अर्थ व शब्द की आवृत्ति हो वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण - पूत सपूत तो का धन संचय।
पूत कपूत तो का धन संचय।।
4. अन्त्यानुप्रास अलंकार
जहाँ पर पंक्तियों या पदों के अंत एक समान के वर्ण से हों वहां पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण - रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता राम ।।
5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जहां पर एक ही वर्ग के अक्षर बार बार आएं तो उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं । यह अधिकतर पद्य रचनाओं में होता है।
उदाहरण - बंदऊं गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
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अनुप्रास अलंकार के उदाहरण (Anupras alankar ke udaharan)
1. “तरनि-तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।''
2. कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि।
3. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि
4. बरसत बारिद बून्द गहि
5. जो खग हौं बसेरो करौं मिल,
कालिन्दी कूल कदम्ब की डारन।
6. बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहत काकी है बेटी।
7. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि।
कहत लखन सन राम हृदय गुनि। ।
8. चमक गई चपला चम चम
9. मुदित महीपति मंदिर आये।
सेवक सचिव सुमंत बुलाये। ।
10. सहज सुभाय सुभग तन गोरे।
11. कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल
12. बंदऊं गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
13. रावनु रथी विरथ रघुवीरा
15. सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
16. कर कानन कुंडल मोर पखा,
उर पे बनमाल बिराजति है।
17. खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की
18. पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही।
19. तेही निसि सीता पहुँ जाई।
त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई॥
20. राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस ,
बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।
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अनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरण
■ इस करुणा कलित हृदय में,
क्यों विकल रागिनी बजती है।
■ चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई
■ चढ़ तुंग शैल – शिखरों पर सोम पियो रे।
■ कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि,
कहत लखन सन रामु हृदयँ गुनि।
■ कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को
■ विमल वाणी ने वीणा ली ,कमल कोमल क्र में सप्रीत।
■ तू मोहन के उरबसी हवे उरबसी समान
■ गुरु पद रज मृदु मंजुल
■ सुंदर सुठि सुकुमार , बिबिध भांति भूषन बसन। ।
■ घेर घेर घोर गगन शोभा श्री।
■ हमारे हरि हारिल की लकरी
निष्कर्ष
हां तो दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की यह पोस्ट "Anupras alankar" पसंद आई होगी। आज की इस पोस्ट में हमने जाना कि 'अनुप्रास अलंकार की परिभाषा' और अनुप्रास अलंकार के उदाहरण दोस्तों हमने इस पोस्ट में यही प्रयास किया है की आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी सरल भाषा मे बता सकें। फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।
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Anki
ReplyDeleteAnkit Kumar
ReplyDeleteThank you so much sir
ReplyDeleteSudeep jhariya
ReplyDeleteThank you sir
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