अतिश्योक्ति अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। इस अलंकार को पहचानना काफी आसान है। अतिश्योक्ति अलंकार के बहुत से उदाहरण भी आज हम आपको देंगे।
तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं - Atishyokti alankar ki paribhasha
अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा
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Atishyokti alankar - अतिश्योक्ति अलंकार |
परिभाषा - "जहाँ पर किसी भी बात को काफी बढ़ा चढ़ाकर बताया जाए तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।"
सरल भाषा मे कहें तो जिस काव्य को पढ़ने पर ऐसा लगता है कि यहाँ पर कोई असंभव कार्य हो रहा है या ऐसी बात की जा रही है जो असंभव और असामान्य सी लगती है तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है। जैसे
उदाहरण :- जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था ।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
इन पंक्तियों में चेतक घोड़े के बारे में काफी बढ़ा चढ़ाकर बताया गया है। अतः यहां पर अतिश्योक्ति अलंकार है।
उदाहरण :- रण में हाहाकार मचो तब,
राणा की निकली तलवार
मौत बरस रही रणभूमि में,
राणा जले हृदय अंगार।
इन पंक्तियों में महाराणा प्रताप के शौर्य को साफ बढा चढ़ाकर बताया गया है अर्थात यहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार है।
अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण
1 . बड़े लड़ईया हैं महुबे के
इनकी मार सही न जाए
एक को मारें दुई मरि जावें
तीसर खौफ खाय मरि जाए
इन पंक्तियों में आल्हा ऊदल की वीरता को काफी बढ़ा चढ़ाकर बताया गया है जिससे यह असंभव सी लगती है। अतः यहां अतिश्योक्ति अलंकार है।
2. जिस दिन जनम लियो आल्हा ने
धरती धँसी अढ़ाई हाथ
इन पंक्तियों में कहा गया है कि आल्हा के जन्म लेने मात्र से धरती ढाई हाथ नीचे धँस गयी थी। अतः यहां भी अतिश्योक्ति अलंकार है।
3. तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
मृतक में भी डाल देगी जान
4. आगे नदिया पड़ी आपार, घोड़ा कैसे उतरे पार
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।
5 . लब थिरके मद से भरे, मन्द-मन्द मुस्काय ।
इश्क-हुश्न के मिलन हित, आतुर पडें दिखाय। ।।
6. बाल समय रबि भक्षि लियो तब
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो
7. धनुष उठाया ज्यों ही उसने,
और चढ़ाया उस पर बाण
धरा सिंधु नभ सहसा कांपे
विकल हुए जीवों के प्राण
8. जुग सहस्त्र जोजन पर भानु
लीलेहु ताहि मधुर फल जानू
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Atishyokti alankar ke udaharan - अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण |
9. पानी परात को हाथ छुयो नहि
नैनन के जल से पगु धोए
10. स्वर्ग का यह सुमन धरती पर खिला
नाम इसका उचित ही है उर्मिला
अतिश्योक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण - example of atishyokti alankar
11. प्रगटेसि बिपुल हनुमान, हाथ गाहे पाषान ।
तिन्ह रामु घेरे जाई , चहुँ दिसि बरूथ बनाई ।
12. राण बीच चौकड़ी भर भर कर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था।
13. कौशल दिखलाया चालों में
उड़ गया भयानक भालों में
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौड़ा करवालों में
14 . यमराज स्वयं बन जाते थे
घोड़े चेतक पर चढ़ते थे
क्षत विक्षत दुश्मन हो जाते थे
नर मुंड हवा में उड़ते थे।
15. वह बोल रहा था गरज गरज
रह रह कर असि में चमक रही
रव वलित गरजते बदल में
मानो बिजली से दमक रही
16. प्यारी गोरी का सुनो, रूप करे उजियार
चंदा के भी नूर की झलक लगे बेकार
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अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण |
17. रुनझुन पायल की बजे, कंगना खनके हाथ ।
भाग्य उदय सा निज लगे, जब प्रीतम हो साथ ।।
Atishyokti alankar ke udaharan
18 . मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेति करौंट ।
पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट ।।
19. हनुमान की पूँछ में, लग न पायी आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।
20. नागिन जैसी कमर जब, सुनो हिलोरा खाय ।
दीवानों के दिलों पे, बिजली सी गिर जाय ।।
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आज आपने जाना
हां तो दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की यह पोस्ट "Atishyokti alankar" पसंद आई होगी। आज की इस पोस्ट में हमने जाना कि 'अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा' और Atishyokti alankar ke udaharan दोस्तों हमने इस पोस्ट में यही प्रयास किया है की आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी सरल भाषा मे बता सकें। फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।
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